लगभग 42°C तापमान में कड़ी दोपहरी के बीच अपने चारों तरफ बने कुंडो में आग जला कर उसके बीच लेटे हुए आसमान की तरफ हाथ जोड़े किसी दैवीय शक्ति से प्रार्थना और क्षमा याचना करते हुए इन संत को देख रहे हैं आप..!!
तो चलिए अब इनके ऐसा करने के पीछे कारण बताते हैं आपको।
वैसे तो पातालकोट में अध्ययन के दौरान हमने ऐसी कई आश्चर्यचकित करने वाली रश्मों का साक्षात्कार किया पर उनमें से कुछ प्रथाएं ऐसी रहीं जो हमारे लिए अविस्मरणीय बन गईं,उनमें से एक थी ये "नौ तपा" की पूजा जिसका पूरा समर्पण "माता ब्राह्मी देवी"(शहद की देवी) के चरणों में किया जाता है।
इस पूजा का विवरण पूछने पर हमें पता चला कि ये कोई सामान्य पूजा नहीं बल्कि प्रत्येक वर्ष 'शहद' का सीजन शुरू होने पर ये पूजा की जाती है जिसमें मंदिर के पुरोहित गर्मी की कड़ी दोपहरी में चारो तरफ आग के कुंड जला कर उसके बीच लेट जाते हैं और नौ दिन तक लगातार ऐसी ही स्थिति में बने रहने के बाद पूजा के अंतिम दिन भंडारे के साथ इस "नौ तपा" की पूजा को "माता ब्राह्मी देवी" के चरणों में समर्पित करते हैं जिन्हें शहद की देवी के नाम से जाना जाता है।
आदिवासियों में ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक वर्ष जंगलों से शहद निकालने की शुरुवात करने से पहले उन्हें इस पूजा के माध्यम से "शहद की देवी" से क्षमा याचना के साथ बिना किसी जंगलीय जीव को नुकसान पहुंचाए शहद निकालने की आज्ञा लेनी पड़ती है।
पूजा के दौरान 9 दिवस तक आदिवासी महिलाएं अपना श्रंगार धारण नहीं करती हैं और केश खुले रखती हैं उसके पश्चात समापन दिवस पर अग्निकुंड की राख से अपने केशों को धुलकर पुनः अपने श्रृंगार धारण करती हैं एवं आदिवासी पुरुष इस पूजा के दौरान 9 दिन तक सुबह निर्जल व्रत रख कर केवल सांयकाल का भोजन ग्रहण करते हैं।
आदिवासियों में एक मान्यता ये भी है की कुंड की राख को किसी साफ कपड़े में बांध कर छोटे बच्चों के सिरहाने रखने से उन्हें डरावनी स्वप्न बाधाएं नहीं होती हैं।
नौ दिन की इस पूजा के अंतिम दिन समापन के समय आदिवासियों की शहद निकालने वाली प्रजातियों के लोग पूजा में जल रहे आग के कुंडो से कोयले का टुकड़ा साथ ले जाते हैं और शहद निकालते समय किए गए धुएं में वो कोयले का टुकड़ा रख देते हैं जिससे मधुमक्खियां बिना किसी को नुकसान पहुंचाए स्वतः छत्ते छोड़ कर उड़ जाती हैं और वे आसानी से शहद निकाल सकते हैं।
कुछ ऐसे ही अद्भुत,अविस्मरणीय और अकल्पनीय अनुभवों के साथ। फिर मिलते है जल्दी ही अगले अध्याय के साथ |