मंडला -बिछिया (मध्य प्रदेश) : भाग -२

मंडला -बिछिया (मध्य  प्रदेश)  : भाग -२

कल की ९१५ किलोमीटर लंबी यात्रा के बाद थकान बहुत ज्यादा हो गई थी इसलिए रात को नींद भी बहुत अच्छी आ।  सुबह हम लोग ६:०० बजे उठ गए थे और तरोताज़ा होकर प्लान किया कि यहां से मंडला जो की १०५  किलोमीटर है, वहां पर चलते हैं।

अपने गंतव्य की ओर सुबह हमने चाय पिया और सुबह ७:०० बजे हम लोग मंडला की ओर निकल पड़े। जबलपुर से मंडला का बहुत ही अच्छा रास्ता है, अभी हाईवे पर काम भी चल रहा है और सुबह-सुबह बहुत ही अच्छा मौसम है।  यहां की सुबह ठंडी हवा साफ सुथरी बहुत ही अच्छी लगी, रास्ते में जंगल होते हुए हम मंडला की ओर चले और ४०  से ५०  किलोमीटर आगे चलने पर हमें नर्मदा नदी का भी साथ मिला ।

 

 हमारा रास्ता आगे जंगल पहाड़ और नदियों के साथ-साथ आगे चला रहा, रास्ता इतना अच्छा था कि हमारी गाड़ी की स्पीड बहुत ही स्लो हो गई और हम लोग रास्ते का मजा लेते हुए आराम से चलने लगे।  सुबह अच्छी हवा रास्ता भी अच्छा और यहां से देख रहे थे हम लोग की रास्ते में जो पेड़ लगे हुए हैं उसमें दोनों तरफ से काफी ज्यादा हनीकॉन्ब थे।

सुबह १०:०० बजे हम मंडला जिला पहुंचे और वहां पर सुबह का नाश्ता किया चाय और पोहे के साथ। इसके बाद हम डॉक्टर एम व्हाई  खोकर से मिलने के लिए चले गए।  डॉक्टर से मुलाकात करते समय हमें पता चला कि जहां पर हमें हनी हार्वेस्टिंग के लिए जाना है वहां का मौसम ०२ दिन से बहुत ही खराब है।

आज हमने मंडला में ही रुकने का सोचा, बाद में हम यहां पास के सहस्त्र धारा नामक स्थान पर चले गए। नर्मदा नदी के इस घाट पर दोनों किनारे  पर काले पत्थरों की सुंदर चट्टाने पाई जाती है और सहस्त्र धारा के इतिहास की बात की जाए तो ऐसा कहा जाता है कि यहां पर सहस्त्रबाहु नाम के राजा ने नर्मदा नदी को अपने हाथों से रोकने का प्रयास किया था जिसमें वह असफल रहा और तभी से इस स्थान पर नर्मदा नदी अनेक धाराओं में बट गई।  

यहां पर एक प्राचीन मंदिर भी है ,यहां की चट्टानें आप देखेंगे तो बहुत ही अलग है और ऐसे पत्थर हमें और भी कहीं देखने को नहीं मिलते हैं।  यहां से थोड़ी दूरी पर हमें गर्म पानी का कुंड भी मिला , जहां पर कहा जाता है साल के 12 महीने गर्म पानी निकलता रहता है , लोगों का मानना है कि इस पानी में स्नान करने से बहुत सारी बीमारियां ठीक हो जाती हैं जैसे चर्म रोग खुजली बैक्टीरियल इनफेक्शन मुहासे जबकि वैज्ञानिक कारण यह है कि इस स्थान के नीचे सल्फर की चट्टानें हैं और इस कारण यहां का पानी हमेशा गर्म रहता है ।  

मंडला में हमने जिला पुरातत्व संघ भी देखा, यहां पर हमने ताम्रपत्र और आठवीं नौवीं , दसवीं, 11वीं ईसा की पुरानी मूर्तियां देखी, १८ शताब्दी की पांडव प्रतिमा, तात्या टोपे का हुकुमनामा,  सन १८५७ नाना साहब को पकड़ने हेतु एक लाख का इनाम, सन १८५८ की ऐसे बहुत से ही पुरानी प्रतिलिपियां हमें देखने को मिली।  सन १७६० की कांच की बोतल जिस पर भगवान श्री गणेश जी का चित्र बना हुआ था ६ करोड़ वर्ष पुराना कौशल,  ऐसी बहुत सारी चीज हमें यहां पर देखने को मिली।  शहर में ही आज हमने बरगद का वह पेड़ भी देखा जिस पर सन १८५७ में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान डिप्टी कमिश्नर ने उमराव सिंह सहित २१  आदिवासियों को बरगद के पेड़ पर लटका दिया था।  यह बरगद का पेड़ एलिवेटेड चौक में मौजूद ह।

मंडला में पूरा दिन घूमने के बाद शाम को इस्थानिये में कुछ लोगों से बातचीत करते समय हमें पता चला कि जब से मंडला का जिले को संगम क्षेत्र घोषित किया गया है तब से यहां पर शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित ह।  हमें शाम तक एक भी अंडे की दुकान भी नहीं दिखी यह देखकर जानकर हमें बहुत ही अच्छा लगा।

आज दिन भर हम मंडला जिले का भ्रमण करते हुए बहुत सारी जगह को घूमते हुए रात में डिनर किया और सुबह के इंतजार में अपने गेस्ट हाउस के रूम में सोने के लिए चले गए।

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